चाहे जैसा हो बुखार, कालमेघ दे उसे उतार

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Sep 23 '20 | By Dr.Suresh Kumar Agarwalla | Views: 777 | Comments: 0
चाहे जैसा हो बुखार, कालमेघ दे उसे उतार

कालमेघ का परिचय

कालमेघ भारत के लगभग सभी राज्यों के जंगलों में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। इसके एक से तीन फीट के ऊंचे पौधे में अनेक पतली-पतली शाखाएं होती हैं। इसका मुख्य तना एवं शाखाएं चौपहल होती हैं। इसकी पत्तियां मालाकार तीन से चार इंच लंबी एवं एक से सवा इंच चौड़ी होती हैं। इसके फूल हल्का गुलाबी रंग लिये सफेद होते हैं। वर्षा ऋतु के प्रारंभ में इसके पौधे जन्मते हैं और जाड़े में फूल एवं फल लगते हैं। कालमेघ का स्वाद अत्यंत कड़वा होता है।


कालमेघ लगाने के लिए उपयुक्त स्थान, विधि एवं देख-भालः

कालमेघ स्वतः जंगलों में प्रचुर मात्रा में पैदा होता है। इसे घर के बगीचे में लगाने की आवश्यकता नहीं है, पर इसकी वैश्विक स्तर पर जिस तरह से मांग बढ़ रही है, उसे पूरा करने के लिए शीघ्र ही इसकी खेती की आवश्यकता है।


आधुनिक स्वास्थ्य वैज्ञानिकों का मतः

हाल में हुए वैज्ञानिक शोधों से पता चला है कि कालमेघ में शरीर की प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाने के गुण हैं। डेनमार्क के अस्पताल में लू के रोगियों पर किये गये एक अध्ययन में कालमेघ को लू की चिकित्सा में निश्चित प्रभावी पाया गया है।


दवा के रूप में कैसे होता है इसका उपयोगः

इसका पूरा पौधा यानी पौधे के सभी पांच अंग- जड़, पत्ती, तना, फूल और फल औषधीय गुणों से भरपूर हैं। हालांकि आम तौर पर इसके जमीन से ऊपर वाले अंगों का उपयोग किया जाता है।


बुखार में उपयोगः

किसी भी तरह के बुखार में ताजा कालमेघ के पत्तों का रस दो चम्मच या इसके पांच से दस ग्राम पाउडर से बने काढ़े का उपयोग दिन में दो-चार बार करने से बुखार उतर जाता है।


जख्म के उपचार में उपयोगीः

कालमेघ को पानी में उबालकर  उस पानी से घाव को धोने पर वह जल्द ठीक हो जाता है।


पेट के जोंक खत्म करता है:

 सभी प्रकार की कृमि में कालमेघ लाभकारी है। कालमेघ के पत्तों का रस 30-35 बूंद  और कच्ची हल्दी का रस 30-35 बूंद एक साथ मिलाकर थोड़ी चीनी मिलाकर सुबह-शाम एक-एक बार लेना चाहिए।


पतले दस्त और खूनी आंव का इलाज :

 कालमेघ के पत्तों का रस या इसके सूखे पौधे का काढ़ा दिन में दो बार पीने से दो-तीन दिनों में ही आराम हो जाता है।


मलेरिया बुखार में पीयें इसका काढ़ा :  

कालमेघ के पत्तों का रस या इसके सूखे पौधों का काढ़ा  दिन में दो बार पीने से दो-तीन दिन में ही आराम मिलता है।


पेट की बीमारियों ( पेट फूलना, अपच, एसिडिटी आदि) के इलाज में उपयोगीः

कालमेघ के पत्ते का रस लेकर उसमें आधा चाय चम्मच पानी मिलाकर पीने से पांच-सात दिनों में पेट फूलने और एसिडिटी में राहत मिलती है, भूख लगने लगती है।


रोग, जिनमें उपयोगी है कालमेघः

·         बुखार

·         पेट की कृमि

·         पेट के दोष (पेट फूलना, अपच)

·         एसिडिटी

·         पतले एवं खूनी दस्त

·         आंव

·         घाव

·         चर्म रोग

·         एलर्जी

·         मलेरिया

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