ब्राह्मी आयुर्वेद के ग्रंथों में वर्णित एक अत्यंत
उपयोगी और गुणकारी पौधा है। यह लता के रूप में जमीन पर फैलता है। इसके पतले-पतले
कोमल तने एक से तीन फीट लंबे होते हैं, जिसपर थोड़ी-थोड़ी दूर पर गांठें होती हैं।
इन गांठों से जड़ें निकलकर जमीन में चली जाती हैं और उससे भी अलग शाखाएं और पत्ते
निकलते हैं। शाखाओं की लंबाई चार से बारह इंच तक होती है। पत्ते छोटे, लंबे
अंडाकार, चिकने मोटे गहरे और हरे रंग के होते हैं। इसके छोटे-छोटी फूल सपदे हल्के
नीले-गुलाबी रंग लिये होते हैं। ब्राह्मी को हरे साग के रूप में खाया जाता है।
ब्राह्मी लगाने के लिए उपयुक्त स्थान, विधि एवं
देखभालः
ब्राह्मी के पौधे इसकी जड़ सहित गांठों वालों तने के छोटे-छोटे टुकड़े
काटकर हमेशा नमी वाली मिट्टी में आसानी से लगाये जा सकते हैं। इन्हें नियमित रूप
से धूप भी मिलना चाहिए। इसे कुएं, नलकूप, नल या पानी के निकास मार्ग वाले स्थानों
पर, जहां हमेशा नमी रहती हो, लगाना चाहिए। इसे गमले में भी लगाया जा सकता है, पर
गमले से उपयोग लायक मात्रा प्राप्त करना कठिन है।
आधुनिक स्वास्थ्य वैज्ञानिकों का मतः
ब्राह्मी के
विषय में पिछले 20 वर्षों में किये गये शोध कार्यों से पता चलता है कि ब्राह्मी
में वेकोसाइड ए एवं वेकोसाइडड बी नामक रसायन पाये जाते हैं, जो बुद्धि एवं स्मृति
शक्ति के विकास में अत्यंत सहायक हैं। ब्राह्मी में मस्तिष्क की उत्तेजना शांत
करने के गुण भी पाये जाते हैं।
दवा के रूप में उपयोगः
ब्राह्मी के पौधे के पांचों अंग- पंचाग- का उपयोग दवा
के रूप में किया जाता है।
मेधा एवं स्मरण शक्ति के विकास में सहायकः
ब्राह्मी पंचांग का स्वरस एक से दो चम्मच लगभग पांच
से 10 ग्राम आधे चम्मच घी में मिलाकर एक ग्लास दूध के साथ भोजन के बाद दिन में एक
बार लगातार एक माह तक सेवन करने से उल्लेखनीय परिणाम आते हैं। स्वरस के स्थान पर
इसके पंचांग का सुखाया हुआ चूर्ण उम्र के अनुसार 100 मिलिग्राम से 500 मिलिग्राम
तक लिया जा सकता है। ब्राह्मी का सीरप या घृत बनाकर भी लिया जा सकता है।
शिशु कफ विकार को करता है दूरः
शिशु के गले में कभी-कभी कफ जमा हो जाता है और इससे
सांस लेने में कठिनाई होती है। ऐसी स्थिति में ताजा ब्राह्मी का रस 25-30 बूंद एक
चम्मच दूध में मिलाकर प्रतिदिन पिलाने से जल्द ही जमा कफ बाहर निकल आता है और सांस
की तकलीफ कम हो जाती है।
मानसिक तनाव या उत्तेजना में लाभकारीः
मानसिक तनाव या उत्तेजना की समस्या हो तो ब्राह्मी
घृत का उपयोग दो-तीन माह तक करने से मन शांत रहता है मस्तिष्क की कार्यक्षमता में
सुधार होता है।
ब्राह्मी घृत ऐसे बनायें :
एक किलो ताजा ब्राह्मी स्वरस को एक पाव शुद्ध गाय की
घी में डालकर धीमी आंच पर तब तक पकायें जब तक कि स्वरस का जलीय अंश पूरी तरह
समाप्त न हो जाये। इस घृत का सेवन भोजन के उपरांत दूध के साथ करना चाहिए।
ब्राह्मी चूर्णः
ब्राह्मी के पंचांग को साफ कर छाया में सुखाना चाहिए।
छाया में अच्छी तरह सूखने के बाद इसे पीसकर महीन चलनी या कपड़े से छानकर हवाबंद
डब्बों या बोतल में रखना चाहिए।
इन रोगों के इलाज में उपयोगी है ब्राह्मी
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स्मृति बढ़ाने में
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शिशु कफ विकार
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मस्तिष्क की उत्तेजना
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तनाव
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हिस्टीरिया, उन्माद
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मन्द बुद्धि
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अनिद्रा
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अपस्मार (मिर्गी)
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