जमा हो बदन में ज्यादा पानी- खाओ पुनर्नवा, कहते हैं ज्ञानी

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Sep 23 '20 | By Dr.Suresh Kumar Agarwalla | Views: 907 | Comments: 0
जमा हो बदन में ज्यादा पानी- खाओ पुनर्नवा, कहते हैं ज्ञानी

पुनर्नवा आयुर्वेद चिकित्सा विज्ञान की एक महत्वपूर्ण वनौषधि है। पुनर्नवा के जमीन पर फैलने वाली छोटी लताओं जैसे पौधे बरसात में परती जमीन पर, कूड़े के ढेर पर, सड़कों के किनारे जहां-तहां स्वयं उग आते हैं। गर्मियों में यह प्रायः सूख जाते हैं, पर वर्षा में पुनः इसकी जड़ों से शाखाएं निकलती हैं। पुनर्नवा का पौधा अनेक वर्षों तक जीवित रहता है। पुनर्नवा की पत्तियां 1-1.25 इंच लंबी, 0.75-1 इंच चौड़ी मोटी मांसल और लालिमा लिये हरे रंग की होती है। फूल छोटे-छोटे गुलाबी रंग के होते हैं। पुनर्नवा के पत्ते और इसकी कोमल शाखाओं को हरी साग के रूप में खाया जाता है। इसे स्थानीय लोग खपरा साग के नाम से जानते हैं।

 

पुनर्नवा लगाने के लिए उपयुक्त स्थान, विधि एवं देखभालः

 चूंकि पुनर्नवा यत्र-तत्र प्रचुर मात्रा में स्वयं उपलब्ध है, इसलिए इसे बगीचे में लगाने या इसकी देखभाल की जरूरत नहीं है।

 

दवा के रूप में इसका उपयोगः

इस पौधे की जड़, तना, पत्ती, फूल और फल- ये पांचों हिस्से दवा के काम में आते हैं।

 

आधुनिक स्वास्थ्य वैज्ञानिकों का मतः

वैज्ञानिक परीक्षणों और रोगियों पर प्रयोग से पता चलता है कि पुनर्नला में मूत्रल डाययूरेटिक गुण है। इसलिए, शरीर में किन्हीं कारणों से अतिरिक्त जल संचय के कारण होनेवाली सूजन, फूलने इत्यादि में इसका प्रयोग अत्यंत लाभदायक है। पुनर्नवा की जड़ों के चूर्ण का प्रयोग निम्न रक्तचाप की चिकित्सा में भी प्रभावशाली है।

 

शरीर में सूजन होने पर पुनर्नवा की मदद से उपचारः

अनेक कारणों से पर्याप्त पानी पीने के बाद भी पेशाब कम होता है। ऐसे में शरीर में अतिरिक्त पानी जमा होने के कारण शरीर में सूजन हो जाती है। ऐसी स्थिति में ताजा पुनर्नवा के पत्तों और शाखाओं का रस दो से तीन चम्मच दिन में दो बार हल्के गर्म पानी के साथ लेने से कुछ दिनों में अतिरिक्त पानी निकल जाता है और सूजन कम हो जाता है। ताजा न मिलने पर पुनर्नवा का सुखाया हुआ पंचांग 5 से 15 ग्राम दो कप पानी में उबाल लें। पानी जब एक कप रह जाये तो इसे छान लें। इसमें सोंठ का चूर्ण मिलाकर सुबह-शाम प्रयोग करें।

 

निम्न रक्तचाप में उपयोगः

पुनर्नवा की जड़ का चूर्ण आधा ग्राम सुबह-शाम शहद के साथ 10 दिनों तक लेने से रक्तचाप स्वाभाविक हो जाता है।

हृदय का भारीपन या धड़कन बढ़ने पर उपयोगः कभी-कभी घबराहट, चिंता इत्यादि मानसिक कारणों से हृदय में भारीपन महसूस होता है या अचानक धड़कन बढ़ जाती है। ऐसी स्थिति में पुनर्नवा का स्वरस दो चम्मच सुबह-शाम लेने से लाभ होता है।

 

प्रसव के बाद कमजोरी, रक्त की कमी एनीमिया या सूजन में उपयोगः

ऐसी स्थिति में भी पुनर्नवा उपयोगी है। ऊपर बतायी गयी विधि से पुनर्नवा के पंचांग का क्वाथ या स्वरस एक माह तक प्रयोग करने से लाभ होता है। पुनर्नवा की सुखाई हुई जड़ का चूर्ण 250 मिलीग्राम दो चुटकी सुबह-शाम दूध के साथ लेने से भी आराम होता है।

 

दूषित घाव का इलाजः

पुनर्नवा के पंचांग को पानी में अच्छी तरह उबाल कर उस पानी से घाव को धोना चाहिए और इसके साथ ही पुनर्नवा की जड़ को पीसकर दही के पानी के साथ घाव में लगाने से कुछ ही दिनों में यह ठीक हो जाता है।

 

इन रोगों के उपचार में है उपयोगी

·         पूरे शरीर का फूलना- सूजन

·         वक्रशोथ

·         हृदय का भारीपन

·         निम्न रक्तचाप

·         प्रसव के बाद खून की कमी, कमजोरी

·         प्रसव के बाद शोथ, सूजन

·         काला जार

·         बुखार

·         खांसी

·         कुष्ठ रोग

·         शरीर का दर्द

·         आंख आना

 

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