पुरानी खांसी दूर भगाओ, घर में छोटी पिप्पली लाओ

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Sep 23 '20 | By Dr.Suresh Kumar Agarwalla | Views: 702 | Comments: 0
पुरानी खांसी दूर भगाओ, घर में छोटी पिप्पली लाओ

पिप्पली या छोटी पीपल अनेक औषधीय गुणों से संपन्न होने के कारण आयुर्वेद की एक प्रमुख और प्रतिष्ठित दवा है। आम जनमानस में यह गरम मसाले की सामग्री के रूप में भी जाना जाता है। पिप्पली की कोमल तनों वाली लताएं 1-2 मीटर तक जमीन पर फैलती हैं। इसके गहरे हरे रंग के चिकने पत्ते 2-3 इंच लंबे और 1-3 इंच चौड़े हृदय के आकार के होते हैं। कच्चे फलों का रंग हल्का पीला होता है जबकि पकने पर यह गहरा हरा रंग लेता है और अंततः काला हो जाता है। इसके फलों को ही छोटी पिप्पली कहा जाता है। पिप्पली बिहार, बंगाल, असम, उत्तर प्रदेश और हिमालय की तराई वाले क्षेत्रों में बहुतायत में होती है। झारखंड के जंगलों में भी इसके पौधे पाये जाते हैं। इसकी बढ़ती हुई मांग को देखते हुए अनेक स्थानों पर इसकी खेती की जा रही है। झारखंड की पहाड़ियों में नमी वाले स्थानों पर इसकी व्यापक खेती की संभावनाएं हैं।

 

पिप्पली लगाने के लिए उपयुक्त स्थान, विधि एवं देखभालः

पिप्पली के पौधों के तनों  के छोटे-छोटे टुकड़ों को गांठ के साथ काटकर हल्की नमी वाली मिट्टी में लगाया जा सकता है। हल्की छाया में भी इसकी लताएं फलती-फूलती हैं। इसे गर्मी के दिनों में नियमित सिंचाई की आवश्यकता होती है।

 

दवा के रूप में कैसे होता है उपयोगः

 मुख्यतः इसके फल का उपयोग औषधि बनाने में होता है। 5-6 वर्ष पुरानी जड़ों का उपयोग भी अनेक रोगों में किया जाता है।

 

आधुनिक चिकित्सा विज्ञानियों का मतः

भारत एवं अन्य देशों में हुए अनेक परीक्षणों से पता चला है कि पिप्पली में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के निश्चित गुण हैं, जिसके कारण टी.बी. एवं अन्य संक्रामक रोगों की चिकित्सा में इसका उपयोग लाभदायक होता है। पिप्पली अनेक आयुर्वेदिक एवं आधुनिक दवाओं की कार्यक्षमता को बढ़ा देती है।

 

उपयोग विधिः

छोटी पिप्पली, काली मिर्च एवं सोंठ को बराबर मात्रा में पीसकर मिला दें। इस मिश्रित योग को त्रिकूट या त्रिकटू के नाम से जाना जाता है।

 

खांसी की उपयोगी दवाः

उपर्युक्त विधि से बनाया गया त्रिकटू 8 वर्ष तक के बच्चों को 200-300 मिलिग्राम एक चुटकी, बड़ों को 1-2 ग्राम शहद के साथ सुबह-शाम खाली पेट देने से चार-पांच दिनों में ही खांसी में लाभ होता है। इसे लेने के आधे घंटे पहले और बाद में कुछ भी खाना-पीना नहीं चाहिए।

 

हल्के पुराने बुखार के इलाज में उपयोगः

त्रिकटू ऊपर बतायी गयी मात्रा में 5-10 बूंद घी मिलाकर लेना चाहिए।

 

सांस फूलने या दमा का इलाजः

दो ग्राम पिप्पल को कूटकर चार कप पानी में उबालें और दो कप रह जाने पर उतारकर छान लें। इस पानी को दो-तीन घंटे के अंतर पर थोड़ा दिन भर पीने से कुछ ही दिनों में सांस फूलने की तकलीफ कम हो जायेगी।

 

वातजनित रोग में उपयोगीः

पांच-छह वर्ष पुरानी पिप्पली के पौधों की जड़ सुखा कर कूट कर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण की 1-3 ग्राम की मात्रा गर्म पानी या गर्म दूध के साथ पिला देने से शरीर के किसी भी भाग का दर्द एक-दो घंटे में दूर हो जाता है। वृद्ध अवस्था में शरीर के दर्दों में यह अधिक लाभदायक होता है।

 

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